IC72 - मोटर बीमा परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स

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  • बीमा विधि द्वारा मान्यताप्राप्त एक संविदा होता है, जिसमें बीमाकर्ता, शर्तों, निबंधनों और वारंटियों के अध्यधीन पूर्व विनिर्दिष्ट सीमा तक जोखिम उठाने का वचन देता है तथा किसी बीमित घटना के घटित होने पर बीमाधारक / संपत्ति के मालिक को सम्मत प्रतिफल के आधार पर क्षतिपूर्ति का भुगतान करता है।
  • एक अनूठी संविदाः मोटर वाहन का बीमा एक अनूठी संविदा होता है क्योंकि यह स्वयं बीमाकृत मोटर वाहन को पहुंचने वाली क्षति तथा तृतीय पार्टी संपत्ति को पहुंचने वाली क्षति और / या पॉलिसी में बताये गये अनुसार तृतीय पार्टी या यात्रियों या नियोजन के दौरान या बीमाकृत सम्पत्ति के प्रयोग के कारण पहुंचने वाली कोई वैयक्तिक चोट / होने वाली मृत्यु से उतपन्न दायित्य के समक्ष किये गये बीमा का मिलाजुला रुप होती है।
  • भारत में अनिवार्य तृतीय पार्टी बीमा की शुरुआत करते हुए 1939 में मोटर वाहन अधिनियम पारित किया गया।
  • मोटर वाहन अधिनियम, 1988 (1988 का अधिनियम 59) ने 1939 के पूर्ववर्ती अधिनियम का स्थान ले लिया और यह 1 जुलाई, 1989 से प्रभावी हुआ।
  • मोटर बीमा संविदा में महत्वपूर्ण तथ्यों का प्रकटीकरण करने का बीमाधारक का कर्तव्य, और किसी भी विधिक हित, विधिक दायित्व या तृतीय पार्टी संपत्ति को पहुंचने वाली क्षति को बीमित कराने का बीमाधारक का अधिकार जैसे सामान्य संविदा के सभी तत्व विद्यमान रहते हैं। इसके अतिरिक्त, बीमाकर्ता पर यह कर्तव्य अधिरोपित होता है कि वह प्रस्थापन और अंशदान के उप सिद्धांत के रूप में उपार्जित अधिकार के अंतर्गत क्षतिपूर्ति करे।

IC72 मोटर बीमा

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