IC57 - अग्रि एवं परिणामी हानि बीमा परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स

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  • पुनर्स्थापन दावों के मामले में क्षतिग्रस्त सम्पत्ति के भौतिक या वास्तविक रुप से किये गये पुनर्स्थापन के सत्यापन संबंधी विशेष पुष्टि करनी पड़ती है।
  • व्यापार व्यवधान दावों के मामले में सर्वेयर की भूमिका बीमाधारक के एमडी के रुप में हो जाती है जो बीमाधारक को सलाह मशविरा देता है कि वह किस प्रकार अपना परिचालन शीघ्र शुरु कर सकता है, व्यवधान की अवधि में कैसे कटौती की जा सकती है और उत्पादन / टर्नओवर में आई कमी को किस प्रकार कम किया जा सकता है।
  • साधारण किस्म की और छोटी हानियों के मामले में सर्वेयर क्षतिग्रस्त सम्पत्ति या उसके अवशिष्ट का निरीक्षण करेगा, हानि के पीछे रहे कारण और हानि की मात्रा या सीमा का निर्धारण करते हुए अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
  • बड़ी एवं संश्लिष्ट हानियों के संबंध में निरीक्षण प्रक्रिया विस्तृत एवं व्यापक रहती है। इस दिशा में की जाने वाली पहली कार्यवाही है कि हानि न्यूनीकरण तथा साल्वेज संरक्षण हेतु कार्यवाही की जाए या उसकी संस्तुति की जाए।
  • हानि पश्चात् यथावत पड़े साल्वेज की प्रारंभिक चरण में ही जांच - पड़ताल किये जाने से हानि के वास्तविक या सर्वाधिक संभाव्य कारण का अंदाजा लग सकता है।

IC 57 अग्रि एवं परिणामी हानि बीमा

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