IC01 - बीमा के सिद्धांत परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स
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एक अन्य सरल परिभाषा है : 'प्रस्थापन एक प्रक्रिया है, बीमा कंपनी इसका उपयोग करती है, ताकि पॉलिसी-धारक को भुगतान की गई दावा-राशि को लापरवाह तृतीय-पक्ष से पुनर्प्राप्त कर सके।' प्रस्थापन को जिसने दावे का भुगतान किया है बीमा कंपनी के लिए तृतीय पक्ष के विरूद्ध बीमित व्यक्ति द्वारा अधिकारों के अभ्यर्पण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।
प्रस्थापन का सिद्धांत यह सुनिश्चित करता है कि बीमा कंपनी को किसी तृतीय पक्ष की लापरवाही, गलती या के गैर जिम्मेदाराना व्यवहार के कारण पीड़ित नहीं होना पड़े। इस प्रकार प्रस्थापन बीमाकर्ता के नुकसानों को कम कर देता है। इसके अलावा न्याय की मांग है कि यद्यंपि बीमा कंपनी दावे को सुलझती है तथापि तृतीय पक्ष, जो दुर्घटना के लिए जिम्मेदार है, वह वित्तीय जिम्मेदारी से दोषमुक्त नहीं है।
प्रस्थापन यह भी सुनिश्चित करता है कि बीमित व्यक्ति को एक बार से ज्यादा मुआवजा नहीं मिल सके।
एक तथ्य को सामग्री तब माना जाता है, जब यह जोखिम को स्वीकार या अस्वीकार करने के बीमा लेखक के निर्णय को प्रभावित करता है या जोखिम स्वीकार किया जाता है तो दरों, नियम और शर्तों को निर्धारित करता है। अर्थात् 'तथ्य' जोखिम के आकलन और प्रीमियम का निर्धारण करने के लिए प्रासंगिक होता है।
आसन्न कारण सक्रिय और कुशल कारण के रूप में परिभाषित किया गया है, जो किसी भी बल के हस्तक्षेत के बिना घटनाओं की शृंखला खड़ी करता है और परिणाम लाता है जो एक नए और स्वतंत्र रत्रोत से सक्रिय रूप से काम शुरू करता है।