IC24 - जीवन बीमा का वैधानिक पक्ष परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स

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  • जब किसी जीवन बीमा पॉलिसी को गलती, धोखाधड़ी या अवैधता के आधार पर अमान्य घोषित कर दिया जाता है, तो जीवन बीमाधारक या उसके हितों के उत्तराधिकारी प्रीमियमों की वापसी पाने के हकदार नहीं होंनो।
  • भारतीय संविदा अधिनियम की धारा 64 और धारा 65 ऐसे मामले पर लागू नहीं होगी, जहां महत्वपूर्ण तथ्यों को धोखे से छिपाए जाने के आधार पर बीमा की पॉलिसी को अमान्य कर दिया गया है।
  • 70 साल पहले समूह जीवन बीमा की एक अमेरिकी कानूनी परिभाषा निम्नानुसार थी : "समूह जीवन बीमा, जीवन बीमा का वह प्रकार है जिस में चिकित्सा परीक्षा के साथ या उसके बिना कम से कम 50 कर्मचारियों को बीमा संरक्षित किया जाता है जिस में नियोक्ता को जारी पॉलिसी के अंतर्गत यह लिखा होता है कि प्रीमियम का भुगतान नियोक्ता द्वारा या नियोक्ता एवं कर्मचारियों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना है एवं रोजगार से संबंधित शर्तों द्वारा निर्धारित अपने सभी कर्मचारियों या सभी वर्गों या श्रेणियों का बीमा जो कुछ योजना के आधार पर निर्धारित बीमा राशि के लिए होता है जो नियोक्ता के अलावा अन्य के लिए व्यक्तिगत चयन को रोक देगा, तथापि, जब प्रीमियम का भुगतान नियोक्ता एवं कर्मचारियों द्वारा संयुक्त रूप से किया जाना है एवं पॉलिसी के लाभ सभी पात्र कर्मचारियों को दिए जाते हैं एवं ऐसे में 75% कर्मचारी ऐसे बीमित हो सकते हैं।"
  • एक सामान्य परिभाषा यह हो सकती है : कि जब एक आम उद्देश्य/उद्देश्य के लिए जुड़े सम्बंधित लोगों के समूह के लिए बीमा खरीदा जाता है, तो यह समूह बीमा के रूप में जाना जाता है।
  • कानूनन एक वैध बीमा अनुबंध के लिए, जिस व्यक्ति की ओर से अनुबंध किया जाता है, उसके पास अनुबंध के विषय में बीमा योग्य हित होना चाहिए। अन्यथा, यह जुए का अनुबंध कहलायेगा एवं इसलिए विधिक रूप से शून्य हो जाएगा। समूह योजना में ऐसा व्यक्ति आवश्यक रूप से वह व्यक्ति नहीं है, जो मास्टर पॉलिसी का नाममात्र धारक है।

IC 24 जीवन बीमा का वैधानिक पक्ष

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