IC24 - जीवन बीमा का वैधानिक पक्ष परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स
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संपत्ति का अंतरण अधिनियम के अनुसार, 'कार्रवाई योग्य दावा' का अर्थ है, कोई भी ऋण हेतु दावा, सिवाय अचल संपत्ति के जो कि गिरवी से बंधित है अथवा चल संपत्ति के दृष्टिबंधक (हाइपाॅथिकेशन) अथवा जमानत अथवा चल संपत्ति में लाभकारी हित जो कि दावेदार के वास्तविक अथवा तर्कसाध्य स्वामित्व में नहीं है तथा जिसे सिविल न्यायालय, राहत वहन करने योग्य माध्यम के रूप में मान्यता देते हैं, चाहे उक्त ऋण अथवा लाभकारी हित विद्यमान, प्रोद्भूत, नियमबद्ध अथवा आकस्मिक क्यों न हों।
संपत्ति का अंतरण अधिनियम 1882 की धारा 58 में गिरवी को, किसी विशिष्ट अचल संपत्ति में निहित अधिकार को, ऋण की अदायगी हेतु सुरक्षा के रूप में अंतरण के रूप में परिभाषित किया गया है। - अंतरणकर्ता को गिरवी रखने वाला, अंतरिती को गिरवीदार कहा जाता है - गिरवी रखे जाने पर प्राप्त राशि को बंधक धन कहा जाता है एवं जिस लिखत के ज़रिए अंतरण को प्रभावी किया गया हो, उसे बंधकनामा कहा जाता है।
अधिनियम की धारा 35 में उल्लिखित है कि जो लिखत, शुल्क से प्रभार्य नहीं है, उसे किसी भी व्यक्ति द्वारा जिसे कानून अथवा पक्षों की सहमति से साक्ष्य प्राप्त पकरने का प्राधिकार है, किसी भी कारण हेतु साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत नहीं किया जा सकता है। उक्त लिखत के विधिवत मुद्रांकन न किए जाने पर, किसी भी व्यक्ति अथवा सार्वजनिक अधिकारी द्वारा उस पर कार्रवाई, पंजीकरण अथवा प्रमाणीकृत नहीं किया जा सकता है। हालांकि, उक्त धारा का प्रावधान, उक्त शुल्क के भुगतान, अथवा राशि में कमी एवं निर्दिष्ट जुर्माने की साक्ष्य पर प्रत्येक लिखित के किसी भाग की प्रस्तुति की अनुमति प्रदान करता है।
संपत्ति मूल्यवान होती है, चाहे मूर्त हो या अमूर्त, वैयक्तिक व्यक्ति अथवा इकाई के स्वामित्व की जिसपर कानूनी अधिकार अथवा स्वामित्व का अधिकार प्राप्त होता है।
अंग्रेज़ी कानून, संपत्ति को वास्तविक एवं वैयक्तिक संपत्ति के रूप में वर्गीकृत करता है जबकि भारतीय कानून संपत्ति को चल एवं अचल संपत्ति के रूप में वर्गीकृत करता है।