IC24 - जीवन बीमा का वैधानिक पक्ष परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स
Page 34 Of 67
Go to:
यद्यपि, संपत्ति का अंतरण अधिनियम की धारा 130 एवं बीमासुरक्षा अधिनियम की धारा 38 के प्रावधान प्रमुखतया एक समान हैं तथा नियमबद्ध हस्तांकन का कानूनी प्रभाव, अर्थात् यह कि, उससे हस्तांतरित में तात्कालिक रूप से निहित हित उत्पन्न हो जाता है, दोनों के लिए एक समान होता है, यह संभावना के कि दोनों धाराओं की तुलना पर, यह संदेह उठाया जा सकता है कि, क्या नियमबद्ध हस्तांतरिति को ऋण प्राप्त करने अथवा पॉलिसी का सम्पर्पण करने की पात्रता प्राप्त है, क्योंकि, यदि ऐसा अधिकार विद्यमान है तथा उसका यदि प्रयोग किया जाता है, तो नियमबद्ध हस्तांतरण, पूर्ण हस्तांतरण में परिवर्तित हो जाएगा, जिससे नियमबद्ध हस्तांतरण का उद्देश्य ही निरर्थक हो जाएगा।
बीमा सुरक्षा अधिनियम 1938 की धारा 38, को बीमा सुरक्षा नियम (संशोधन) अधिनियम 2015 के ज़रिए प्रतिस्थापित किया गया हैं।
धारा 38(2) में उल्लिखित महत्वपूर्ण अंतर : एक बीमाकर्ता, उप-धारा(1) के तहत की गई पुष्टि पर कार्रवाई करने हेतु अंतरण अथवा को स्वीकृत कर सकता है, अथवा मना कर सकता है, जहाँ यह विश्वास करने हेतु पर्याप्त कारण उपलब्ध हो कि उक्त अंतरण अथवा हस्तांतरण, प्रामाणिक नहीं है अथवा पॉलिसीधारक अथवा सार्वजनिक हित में नहीं है अथवा बीमा सुरक्षा पॉलिसी के व्यापार के प्रयोजन हेतु है। हस्तांतरण को मना करने की कार्रवाई, उचित प्रक्रिया के ज़रिए की जानी चाहिए।
हस्तांतरण को संपूर्ण विषय माना जाएगा जहाँ, पुष्टि में स्पष्ट रूप से उल्लिखित है कि वह धारा 38(10) के अनुसार नियमबद्ध है :
किसी भी कानून अथवा अथवा प्रथा में,इसके विपरीत कानून की शक्ति के बावजूद निम्नलिखित शर्त पर किसी व्यक्ति के पक्ष में हस्तांतरण किया जाता है - a) पॉलिसी के तहत धनराशि, पॉलिसीधारक को देय होगी अथवा बीमाकृत अथवा अंतरिति या हस्तांतरिति की बीमाकृत से पहले मृत्यु की स्थिति में नामिति या नामितियों को देय होगी; अथवा b) पॉलिसी की अवधि के दौरान उत्तरजीवी बीमाकृत, वैध होगा :