IC24 - जीवन बीमा का वैधानिक पक्ष परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स
Page 42 Of 67
Go to:
क्षतिपूर्ति का अनुबंध : भारतीय अनुबंध अधिनियम की धारा 124 एक अनुबंध के रूप में 'क्षतिपूर्ति का अनुबंध' परिभाषित करती है जिसके द्वारा एक पक्ष दूसरे को स्वयं वादाकरता के आचरण द्वारा या किसी अन्य व्यक्ति के आचरण द्वारा उसके कारण होने वाली हानि से बचाने का वादा करती है।
गारंटी का अनुबंध : एक 'गारंटी का अनुबंध' वादा पूरा करने का एक अनुबंध है, या उसके चूक के मामले में किसी तृतीय पक्ष दायित्व का निर्वहन करना है।
जमानतदार : वह व्यक्ति जो गारंटी देता है उसे 'जमानतदार' कहा जाता है।
प्रधान देनदार :जिस व्यक्ति की चूक के मामलें में गारंटी दी जाती है, उसे 'मूल देनदार' कहा जाता है।
सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 88 - सिविल प्रक्रिया संहिता की धारा 88, निम्नलिखित उपाय प्रदान करती है : "जहां दो या दो से अधिक व्यक्ति एक-दूसरे के साथ समान ऋण, धनराशि, या अन्य संपत्ति, किसी अन्य व्यक्ति से चल या अचल संपत्ति का दावा करते हैं, वहां कोई अन्य व्यक्ति जिसका आरोपों या लागतों के अलावा अन्य कोई हित नहीं होता है एवं जो इसे सही दावेदार को भुगतान करने या वितरित करने के लिए तैयार है, उस दावेदार के खिलाफ निर्णय लेने के उद्देश्य से सभी दावेदारों के खिलाफ इंटरप्लेडर का मुकदमा चला सकता है जिनके लिए भुगतान या डिलीवरी की जाएगी एवं स्वयम के लिए क्षतिपूर्ति प्राप्त की जाएगी। बशर्ते कि जहां कोई अन्य मुकदमा लंबित है जिसमें सभी पक्षों के अधिकारों का सही ढंग से निर्णय लिया जा सकता है, वहां ऐसा किसी भी प्रकार का इंटरप्लेडर नहीं चलाया जाएगा। "