IC57 - अग्रि एवं परिणामी हानि बीमा परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स

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  • किसी जोखिम की वह अधिकतम राशि (बीमाकृत राशि या पीएमएल के अर्थों में किसी एक कंपाउंड में स्थित सम्पत्ति) जिसे कोई बीमाकर्ता किसी एकल जोखिम के मामले में अपने स्वयं के खाते में बनाये रखना चाहता है, उसकी शुद्ध प्रतिधारण क्षमता कहलाती है।
  • पीएमएल आकलन कारक : मोटे तौर पर इन्हें निम्नानुसार श्रेणीबद्ध किया जा सकता है : - i. तकनीकी जानकारी ii. बीमा जानकारी iii. तृतीय पार्टी जानकारी iv. हानि के कारणों से संबंधित जानकारी
  • पीएमएल त्रुटि / पीएमएल स्फोट से सामान्यतया यह पता चलता है कि पीएमएल अनुमानों की तुलना में वास्तविक हानि आकार में कहीं ज्यादा है।
  • पुनर्बीमा एक ऐसी व्यवस्था है जिसके जरिए कोई प्रत्यक्ष बीमाकर्ता, जिसने किसी जोखिम का बीमा कराया है, जोखिम के एक हिस्से का किसी दूसरे बीमाकर्ता के पास फिर से बीमा कराता है, अर्थात् अपने स्वयं के दायित्व को कम करने के इरादे से जोखिम के एक हिस्से का पुनर्बीमा करता है।
  • पुनर्बीमा की दो मुख्य प्रणालियां हैं : वैकल्पिक एवं ट्रीटी

IC 57 अग्रि एवं परिणामी हानि बीमा

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