IC57 - अग्रि एवं परिणामी हानि बीमा परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स
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बीमा व्यवहार में बाजार मूल्य या वास्तविक नकदी मूल्य का विभिन्न परिस्थितियों में अलग अलग अर्थ लिया जाता है लेकिन सभी मामलों में उद्देश्य यही रहता है कि क्षतिपूर्ति के सिद्धांत को व्यावहारिक तौर पर लागू किया जाए।
मूलयह्रास शब्द का संदर्भ मशीनरी के मूल्य में प्रयोग, विकृति, टूट एवं फूट, जंग लगने, संक्षारण, धातु श्रांति, आदि के कारण आई गिरावट से लिया जाता है।
सुधार शब्द का संदर्भ प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई प्रगति तथा नये अनुसंधानों के कारण प्रतिस्थापित मशीनरी के उत्कृष्ट गुणों जैसे कि वर्धित उत्पादन, बिजली की खपत में कमी, रख - रखाव की न्यूनतर लागत, आदि से लिया जाता है।
क्षतिपूर्ति का सिद्धांत यह प्रतिपादित करता है कि "किसी बीमाधारक को तब पर्याप्त रुप से क्षतिपूरित माना जाएगा जब उसे ठीक उसी वित्तीय स्थिति में पुनर्स्थापित किया जाता है जिस स्थिति में वह उसकी सम्पत्ति को पहुंची हानि के समय था। "
क्षतिपूर्ति के सिद्धांत के दो उप - सिद्धांत होते हैं - i. अंशदान का सिद्धांत और ii. प्रस्थापन का सिद्धांत