IC72 - मोटर बीमा परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स
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आईआरडीएआई की ओर से तृतीय पार्टी दायित्व प्रीमियम अभी भी विनियमित किया जा रहा है। इसी प्रकार, पूर्ववर्ती भारत मोटर प्रशुल्क की अन्य सभी शर्तों, निबंधनों तथा नियमों का अभी भी प्रयोग किया जा रहा है।
यद्यपि बीमाकर्ताओं को मोटर ओडी दर - निर्धारण हेतु निर्दयतापूर्ण प्रशुल्क शर्तों के चंगुल से मुक्त तो कर दिया गया है, वे अभी भी शब्दावली सहित पूर्ववर्ती भारत मोटर प्रशुल्क 2002 की अन्य सभी शर्तों, निबंधनों तथा नियमों का अभी भी प्रयोग किया जा रहा है।
मानक दस्तावेजीकरण तथा सामान्य विनियमों में निम्नलिखित का समावेश हैः प्रस्ताव पत्र जीआर2, प्रस्ताव पत्र जीआर3, कवरनोट जीआर (जीआर22), बीमा प्रमाण पत्र (जीआर23), बीमा निरसन एवं दोहरा बीमा (जीआर24), बीमा प्रमाण पत्र का निरसन एवं न्य प्रमाण पत्र जारी करना (जीआर25), नष्ट, फटा, मैला, विरुपित या कटा - कटा प्रमाण पत्र या कवरनोट (जीआर26), भौगोलिक क्षेत्र का विस्तार (जीआर4): आईएमटी 1, भौगोलिक अंचल (जीआर 10), बीमाधारक द्वारा घोषित मूल्य (जीआर8), आईडीवी की गणना हेतु मूलयह्रास अनुसूची, आंशिक हानि दावों हेतु पुर्जों पर लगने वाला मूलयह्रास (जीआर9), बीमा अवधि (जीआर 11), अल्पावधि आवरण हेतु प्रीमियम दरें (जीआर 12), अल्पावधि पैमाना, दर - निर्धारण, छूट, अतिरिक्त लाभ (एड-ऑन आवरण), दावा नहीं बोनस (जीआर 27), अनिवार्य व्यवकलनीय (जीआर 40), किराया खरीद के अधीन आने वाले वाहन (जीआर 19) / पट्टा वाहन (जीआर 20)- आईएमटी 6, दृष्टिबंधन के अधीन आने वाले वाहन (जीआर 21) - आईएमटी 7, अंतरण (जीआर 17) - आईएमटी-3, वाहन परिवर्तन (जीआर 18), टोइंग प्रभार (जीआर 47), सांख्यिकी प्रस्तुत करना (जीआर 48), भारत मोटर प्रशुल्क का अर्थनिरुपण (जीआर 49)
गैर - प्रशुल्कीकरण के बाद अधिकांश बीमाकर्ताओं ने प्रशुल्क प्रणाली तथा दरों का आधार प्रीमियम के तौर पर अनुसरण करना जारी रखा। तत्पश्चात, जोखिम के बारे में रहे उनके अनुभव के आधार पर वे दी जाने वाली छूटों तथा प्रीमियम लदान के बारे में निर्णय लेते हैं।
1 जनवरी, 2007 से मोटर प्रशुल्क वापिस ले लिया गया। बीमाकर्ताओं को यह अनुमति दी गयी है कि वे स्व-क्षति आवरण हेतु अपनी स्वयं की प्रीमियम संरचना तैयार कर सकते हैं।