IC72 - मोटर बीमा परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स
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आमतौर पर यह माना जाता है कि जो व्यक्ति बीमा कराना चाहता है उसे कानूनी तौर पर यह अधिकार होना चाहिए कि वह बीमा की विषय वस्तु का बीमा करा सके। इसलिए, बीमाकर्ता इस बात पर बल देते हैं कि आवरण लेते समय वाहन के पंजीकरण प्रमाण पत्र में बीमाधारक का नाम होना चाहिए।
व्यावहारिक तौर पर होता यह है कि दुर्घटना में शामिल वाहनों को पहुंचने वाली भौतिक क्षति से उत्पन्न होने वाले दायित्व के लिए प्रस्थापन को बीमाकर्ताओं के बीच हुए "नॉक फॉर नॉक (प्रहार के बदले प्रहार) समझौते" द्वारा आशोधित किया गया है और संबंधित बीमाकर्ता उनकी ओर से बीमाकृत वाहनों का पूरा दायित्व निर्वहन करते हैं।
धारा 146 को (संशोधन अधिनियम, 1994 द्वारा) संशोधित किया गया है जो वाहन मालिक पर एक अतिरिक्त कर्तव्य अधिरोपित करती है कि खतरनाक या जोखिमयुक्त वस्तुओं के वाहक वाहन के मालिक को "जनदायित्व बीमा अधिनियम, 1991" के अंतर्गत भी बीमा पॉलिसी लेनी पड़ेगी।
सभी मोटर पॉलिसियों में "कुछ शर्तों तथा वसूली के अधिकार का बचाव" नामक एक क्लॉज रहता है।
अनिवार्य तृतीय पार्टी बीमा संबंधी प्रावधान केन्द्र सरकार या राज्य सरकार के स्वामित्व वाले और शासकीय प्रयोजन हेतु प्रयुक्त किंतु जिनका किसी वाणिज्यिक उद्यम से कुछ लेना देना नहीं होता, किसी भी वाहन पर लागू नहीं होते हैं।