IC72 - मोटर बीमा परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स
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1988 के अधिनियम की धारा 150 में बीमाधारक के दिवालिया हो जाने या यदि वह कोई कंपनी हो तो उसके बंद कर दिये जाने की स्थिति में तृतीय पार्टियों को उपलब्ध अधिकारों का प्रावधान किया गया है।
1988 के अधिनियम की धारा 155 में यह प्रावधान किया गया है कि यदि तृतीय पार्टी दायित्व उपगत हो जाने के बाद बीमाकृत व्यक्ति की मौत हो जाती है तो बीमाकृत की सम्पत्ति, कानूनी वारिस या बीमाकर्ता के विरुद्ध वाद हेतु विद्यमान रहता है।
धारा 163(ए) में क्षतिपूर्ति के "संरचनाबद्ध सूत्र के आधार पर" भुगतान किये जाने संबंधी विशेष प्रावधान है।
किसी मोटर वाहन के ड्राडवर की लापरवाही के कारण होने वाली मृत्यु या अपंगता हेतु निम्नलिखित व्यक्ति दावा कर सकते हैं : i. पादचारी, ii. किराया देने वाले यात्री, iii. किराया न देने वाले यात्री, iv. दूसरे वाहनों में यात्रा करने वाले व्यक्ति, v. बच्चे
लापरवाही के आरोप का निम्नलिखित बचावों के आधार पर खंडन किया जा सकता है : i. स्वयं को जानबूझकर चोट पहुंचाना (Volenti Non-fit injuria), ii. अपरिहार्य दुर्घटना, iii. दैवी कृत्य, iv. आपात्काल