IC72 - मोटर बीमा परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स

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  • न्यायालय को अपने विवेकाधिकार के अनुसार सही और वैध कारणों के आधार पर यथोचित गुणक अपनाना पड़ता है चाहे वह अनुसूची से उच्चतर हो या न्यूनतर। तथापि, यह गुणक अधिकतम 18 से अधिक नहीं होगा।
  • तृतीय पार्टी दावों का प्रभावशाली ढंग से बचाव करने के लिए बीमा कंपनी को चाहिए कि वह अन्वेषणकर्ता के जरिए निम्नलिखित से संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेज जुटा ले : i. दुर्घटना स्थल के विवरण, ii. बीमाधारक से सम्पर्क, iii. ड्राइवर से सम्पर्क, iv. दावाकर्ताओं / मृतक के प्रतिनिधि(यों) / दोस्तों, पड़ोसियों / सहकर्मियों से सम्पर्क, v. पुलसि कागजात, vi. आरटीओ कागजात, vii. चिकित्सा कागजात
  • बीमाकर्ता केवल मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 149(2) के अंतर्गत विनिर्दिष्ट किसी भी आधार पर दावा प्राधिकरण के समक्ष चल रही कार्यवाहियों का प्रतिवाद कर सकता है। बीमाकर्ता 1988 के अधिनियम की धारा 149(2) को छोड़कर अन्य किसी भी आधार पर और जब तक दावा प्राधिकरण की ओर से 1988 के अधिनियम की धारा 170 के अंतर्गत विशेष अनुमति नहीं दी जाती तब तक मामले का प्रतिवाद नहीं कर सकता है।
  • बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 64 वीबी का संबंध प्रीमियम का अग्रिम भुगतान किये जाने से है और यदि प्रीमियम का अग्रिम भुगतान नहीं किया गया तो बीमा संविदा प्रारंभ से ही अमान्य हो जाती है, लेकिन यदि चेक नकार दिया गया हो तो इस तथ्य की जानकारी बीमाधारक तथा आरटीए को प्रभावशाली ढंग से दी जानी चाहिए ताकि बीमाकर्ता को भुगतान करने के सांविधिक दायित्व से मुक्त किया जा सके।
  • बीमाधारक के प्रति दायित्व से बचने के लिए बीमाकर्ता को यह प्रमाणित करना होता है कि बीमाधारक उपेक्षा का दोषी है और वह विधिवत लाइसेंसधारक या जिसे प्रासंगिक समय पर वाहन चलाने के अयोग्य घोषित नहीं किया गया था, ऐसे ड्राइवर द्वारा वाहन के प्रयोग संबंधी पॉलिसी शर्तों का पालन करने में यथोचित सावधानी बरत पाने में नाकामयाब रहा है।

IC72 मोटर बीमा

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