IC72 - मोटर बीमा परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स
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धारा 163-ए की शुरुआत "सर्वोपरि क्लॉज" (non-obstante clause) से होती है और उसमें मृतक के कानूनी प्रतिनिधियों को या पीड़ित को, जो भी मामला हो, द्वितीय अनुसूची में बताये गये अनुसार, क्षतिपूर्ति के भुगतान का प्रावधान किया गया है।
1988 के अधिनियम के अंतर्गत क्षतिपूर्ति का भुगतान करने संबंधी योजना को निम्नानुसार विभाजित किया जा सकता है : i. मृत्यु एवं अपंगता के मामले में दोषहीन हेतु धारा 140, ii. धारा 161: हिट-एंड-रन मोटर दुर्घटनाओं के ऐसे मामलों में जहां वाहन की पहचान अभिनिश्चित नहीं की जा सकती, मृत्यु के मामले में दी जाने वाली क्षतिपर्ति रु.25,000/- और गंभीर चोट के मामले में रु.12,500 है।, iii. धारा 163-ए: किसी व्यक्ति के गलत कृत्य या उपेक्षा या चूक को स्थापित या प्रमाणित किये गये विशेष प्रावधान।, iv. धारा 168: दोषपूर्ण दायित्व के सिद्धांत पर आधारित किसी अधिकार के अनुसरण में देय क्षतिपूर्ति का निर्धारण करने के लिए।
धारा 163-ए में मृत्यु मामलों में सामान्य मुआवजे के तौर पर एक नियत राशि का प्रावधान किया गया है जैसे कि : i. अंत्येष्टि व्यय के तौर पर रु.2000/-., ii. यदि लाभार्थी पति / पत्नी रहा / रही हो तो सहजीविता की हानि के लिए रु.5000/-, iii. सम्पदा की हानि के लिए रु.2400/-, iv. बिलों एवं वाउचरों से समर्थित चिकित्सा व्यय हेतु अधिकतम रु.15,000/-.
धारा 161(3) के अंतर्गत, हिट-एंड-रन मोटर दुर्घटना के कारण किसी व्यक्ति की मौत हो जाने के मामले में क्षतिपूर्ति के तौर पर रु.25,000/- की नियत राशि का भुगतान करना होता है तथा गंभीर चोट के मामले में इसे रु.12,500/- तय किया गया है।
1988 के अधिनियम की धारा 168 के अनुसार क्षतिपूर्ति राशि का निर्धारण करते हुए अवार्ड पारित किया जाना है जिसे वास्तविक अर्थों में मुआवजा कहा जाएगा, जो कि इस धारा के तहत न्यायोचित एवं युक्तिसंगत प्रतीत होता हो।