IC72 - मोटर बीमा परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स
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आश्रितों को क्षतिपूरित करने की दृष्टि से मुआवजे का आकलन करना कठिनाइयों से भरा है क्योंकि मामलों की प्रकृति को देखते हुए न्यायालय को बहुत सी अतिसूक्ष्मताओं पर विचार करना होता है।
ब्याज व्यवहार : मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 171 के अंतर्गत ब्याज की मंजूरी देना न्यायालय के विवेकाधीन रहता है।
तृतीय पार्टी दावों में धोखाधड़ी: जहां इस तथ्य से इंकार नहीं किया जा सकता कि ये निपटान सामाजिक दायित्व के तहत किये जाते हैं, वहीं यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि दावाकर्ता अपनी निजी सम्पत्ति बढ़ाने के इरादे से कानूनी प्रावधानों का अनुचित फायदा नहीं उठा रहे हैं।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 158(6) के अंतर्गत पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी के लिए यह जरुरी है कि वह बीमाकर्ताओं और न्यायिक क्षेत्राधिकार वाले प्राधिकरण को 30 दिन के भीतर एफआईआर की प्रति भिजवा दे।
धोखाधड़ी प्रबंधन यह सुनिश्चित करने की दृष्टि से अनिवार्य हो जाता है कि केवल प्रामाणिक दावों का ही भुगतान किया जाता है। इस मामले में की जाने वाली कार्यवाहियों में से कुछेक इस प्रकार है : i. अन्वेषणकर्ता की नियुक्ति, ii. पीड़ित का फोटोग्राफ, iii. पंचनामा तथा जब्ती रिपोर्ट, iv. गवाह की पहचानः, v. मोटर वाहन निरीक्षकों (एमवीआई) की रिपोर्ट