IC72 - मोटर बीमा परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स
Page 52 Of 53
Go to:
प्राधिकरणों की प्रत्याह्वान की शक्तिःउच्चतम न्यायालय ने [(युनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कं.लि. बनाम राजेन्द्र सिंह) 2000 एसीजे 1032] वाले मामले में दूषित दावों की ओर अपना ध्यान आकृष्ट करते हुए यह निर्णय दिया कि दावा प्राधिकरणों को यह अंतर्निहित शक्ति प्राप्त है कि वे अभिकथित तौर पर धोखाधड़ीयुक्त दूषित दावों के मामले में उनकी ओर से दिये गये अवार्डों की पुनरीक्षा / उनका प्रत्याह्वान कर सकते हैं। न्यायालय ने कहा कि धोखाधड़ी और न्याय दोनों कभी भी एक साथ नहीं चल सकते और किसी भी बीमाकर्ता को किसी अवार्ड के बारे में अन्वेषण और प्रत्याह्वान करने के अधिकार से बंचित नहीं किया जा सकता, जबकि संबंधित दावा अभिकथित रुप से दूषित रहा हो।
तथ्यों की भूल के नाम पर बंद किये गये पुनःअन्वेषणः यह सच था कि जब न्यायालय में कार्यवाही चल रही थी और जब न्यायालय की ओर से निर्णय दिया गया, उसके तुरंत बाद आपराधिक कार्यवाही की डर से कई सारे दावे वापिस ले लिये जाने लगे। इस प्रकार बीमाकर्ता करोड़ों रुपये बचा पाने में सफल रहे। लेकिन, कुछ ही महीने बीते होंगे कि यह पता चला कि घोटालेबाजों ने कार्यवाही से बचने के नये तौर - तरीके ढूंढ लिए हैं।
जिन मुद्दों की लेखा परीक्षा की जानी हैः बीमाकर्ताओं की ओर से तृतीय पार्टी दावा विभाग के परिचालनों की गुणवत्ता में सतत सुधार लाने के लिए हर संभव प्रयास किये जाते हैं। आंतरिक लेखा परीक्षा के अलावा, बीमाकर्ताओं ने विद्यमान दावों की पुनरीक्षा करने तथा पर्याप्त प्रावधान करने की दृष्टि से नियमित आधार पर गुणवत्ता आश्वासन अभ्यास की शुरुआत भी की है।
समन प्राप्ति : बीमाकर्ता की ओर से समन की प्राप्ति होते समय की जाने वाली सामान्य संसाधनात्मक ततुटि यह होती है कि बीमाकर्ता के कार्यालय द्वारा प्राप्त समन पर दिनांक वाली मुहर नहीं लगाई जाती है, जो कि समन देर से मिलने का महत्वपूर्ण साक्ष्य हो सकती है। समन पर न तो उसी दिन फाइल संख्या, मामला संख्या तथा दावा संख्या लिखी जाती है और न ही उसकी तृतीय पार्टी दावा रजिस्टर या जेनिसिस में उसी दिन प्रविष्टि की जाती है, जिसकी परिणति अनुचित समन के रुप में होती है।
प्राधिकरण की परिधि एवं अभिप्रायः जहां तक मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 168 की परिधि एवं अभिप्राय का संबंध है, दावा प्राधिकरण को न केवल बीमाकर्ताओं, मालिक या ड्राइवर से संयुक्त या पृथक रुप से वसूली जा सकने वाली दावा राशि के निर्धारण का हक है, अपितु बीमाकर्ता तथा दुर्घटना में शामिल वाहन के मालिक या ड्राइवर के बीच उत्पन्न विवाद का अधिनिर्णय कर सकने का अधिकार भी प्राप्त है, जहां तक कि उसका दावा प्राधिकरण में इस तरह चल रही कार्यवाहियों के दौरान निराकरण किया जा सकता है।