IC74 - दायित्व बीमा परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स
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आसान शब्दों में कहा जाए तो विधिक दायित्व से तात्पर्य है किसी व्यक्ति का वह कानूनी उत्तरदायित्व जिसके तहत वह पहुंचाई गयी किसी क्षति की भरपाई करता है। भले ही संबंधित पक्षों की परस्पर सहमति से न्यायालय के बाहर ही मामले का निपटान क्यों न किया जाए, आमतौर पर विधिक दायित्वों का निर्धारण न्यायालय द्वारा ही किया जाता है।
प्रस्थापन को इस तरह परिभाषित किया जा सकता है - यह बीमाधारक के अधिकारों एवं उपचारों का उस बीमाकर्ता के पक्ष में अंतरण है जिसने घटित हानि के संदर्भ में बीमाधारक को क्षतिपूरित किया होता है।
प्रस्थापन का सिद्धांत क्षतिपूर्ति के सिद्धांत का ही उप - सिद्धांत है। क्षतिपूर्ति का सिद्धांत बीमाधारक को उसे हुई हानि (अर्थात् बीमा संविदाओं) से लाभ अर्जित कर सकने की अनुमति नहीं देता। इसका यह तात्पर्य है कि यदि बीमाधारक के पास किसी तृतीय पार्टी, जो घटित हुई हानि के प्रति मुख्य रुप से जिम्मेदार है, से वसूली कर सकने का कोई अधिकार है तो ऐसा अधिकार बीमाकर्ता को अंतरणीय होता है। चूंकि बीमाकर्ता ने हानि का भुगतान किया है, इसलिए वह इस अधिकार बीमाकर्ता को अंतरणीय होता है। चूंकि बीमाकर्ता ने हानि का भुगतान किया है, इसलिए वह इस अधिकार का प्रयोग करते हुए तृतीय पार्टी से हानि की वसूली कर सकता है। प्रस्थापन का सिद्धांत सामान्य कानून के अंतर्गत उत्पन्न होता है और क्षतिपूर्ति संबंधी सभी संविदाओं में निहित रहता है।
कानूनी दायित्व किसी व्यक्ति का वह उत्तरदायित्व होता है जिसके तहत उसे उसकी ओर से पहुंची किसी क्षति के लिए भरपाई करनी पड़ती है।
कानूनी दायित्व को आपराधिक और सिविल इन दो प्रकार के दायित्वों में वर्गीकृत किया गया है। सिविल दायित्व का बीमा किया जा सकता है जबकि आपराधिक दायित्व का नहीं।