प्रत्यक्ष बीमा कंपनी द्वारा देयता के जिस परिमाण को अपने पास रखा जाता है उसे प्रतिधारण सीमा कहा जाता है।
प्रतिधारण सीमा कंपनी की जोखिम भूख तथा आकार, बीमांकनकर्ताओं की गुणवत्ता तथा अनुभव, प्रत्यक्ष बीमा कंपनी के अधिशेष पर निर्भर करते हैं।
पुनः पुनर्बीमा एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोई पुनर्बीमाकर्ता अपने जोखिमों का किसी दूसरे पुनर्बीमाकर्ता के पास पुनर्बीमा करवाता है। पुनर्बीमा का पुनर्बीमा करना पुनः पुनर्बीमा कहलाता है।
ऐच्छिक पुनर्बीमा सुरक्षा में, जोखिम की साझेदारी, वैयक्तिक आधार पर की जाती है।
वैकल्पिक पुनर्बीमा के मामले में पुनर्बीमाकर्ता को सभी जोखिमों की देयता स्वीकार करनी होती है और पुनर्बीमा संधि की शर्तों और नियमों के अनुसार उसके पास कोई भी विकल्प नहीं कि वह प्रत्यक्ष बीमाकर्ता द्वारा स्वीकार किये गये किसी भी जोखिम को अस्वीकार कर सके।