IC72 - मोटर बीमा परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स
Page 5 Of 53
Go to:
धारा 39 में यह कहा गया है कि कोई भी व्यक्ति किसी मोटर वाहन को तब तक नहीं चलाएगा या कोई मोटर वाहन मालिक अपने वाहन को किसी भी सार्वजनिक स्थान पर या किसी भी अन्य स्थान पर तब तक नहीं चलाएगा या चलाने की अनुमति नहीं देगा जब तक ऐसा वाहन मोटर वाहन अधिनियम, 1988 के अनुसार पंजीकृत नहीं किया गया हो।
1988 के अधिनियम के अनुसार बीमाकर्ताओं के लिए यह जरुरी है कि वे अधिनियम के अध्याय XI की आवश्यकताओं की पूर्ति के अनुसरण में तृतीय पार्टी बीमा के प्रमाण स्वरूप बीमा प्रमाणपत्र जारी करें। बीमा प्रमाणपत्र (प्रपत्र 51), अधिनियम के तहत बनाए गए मोटर वाहन संबंधी नियमों के अधीन निर्धारित प्रारूप में होना चाहिए।
परमिट किसी राज्य या क्षेत्रीय परिवहन प्राधिकारी द्वारा जारी किया गया वह लिखत होता है जो मोटर वाहन अधिनियम के संबद्ध प्रावधानों तथा उनके अंतर्गत बनाये गये नियमों के अनुसार किसी मोटर वाहन का प्रयोग परिवहन वाहन के तौर पर और विनिर्दिष्ट तरीके से करने के लिए प्राधिकृत करता है। मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 66 (1) परिवहन वाहनों के लिए परमिट की आवश्यकता को अनिवार्य बनाती है।
परमिट निम्नलिखित प्रकार के होते हैःं मालवाहक परमिट, मालवाहक परमिटों में प्रतिहस्ताक्षर, राष्ट्रीय परमिट, यात्री वाहनों के लिए परमिट, ठेका वाहन, बस परमिट (किराये की बसें), स्टेज वाहक परमिट, अस्थाई परमिट, किराये पर टैक्सी परमिट, संस्थान / स्कूल बसें, अखिल भारतीय पर्यटक परमिट।
मोटर वाहन अधिनियम, 1988 की धारा 4 में मोटर वाहन चलाने के लिए आयु निर्धारित की गयी है।