IC14 - बीमा व्यवसाय का विनियमन परिक्षा महत्वपूर्ण टॉपिक्स और नोट्स

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  • बीमा अधिनियम, 1938 की धारा 64VB कहती है किः 1. कोई भी बीमा कंपनी ऐसे किसी भी बीमा व्यवसाय के संबंध में भारत में कोई भी जोखिम स्वीकार नहीं करेगी जिस पर प्रीमियम सामान्य रूप से भारत के बाहर देय नहीं है जब तक कि देय प्रीमियम उसे प्राप्त नहीं हो जाता है या ऐसे व्यक्ति द्वारा इस प्रकार और ऐसे समय के भीतर भुगतान किये जाने की गारंटी नहीं दी जाती है जो निर्घारित किया जा सकता है या जब तक कि इस तरह की राशि, जो निर्धारित की जा सकती है, निर्धारित तरीके से अग्रिम में जमा नहीं कर दी जाती है।
  • 2. इस धारा के प्रयोजनों के लिए, ऐसे जोखिमों के मामले में जिनके लिए प्रीमियम अग्रिम में निर्धारित किया जा सकता है, उस तिथि से पहले जोखिम को स्वीकार नहीं किया जा सकता है जब बीमा कंपनी को नगदी में या चेक द्वारा प्रीमियम भुगतान किया गया है।
  • स्पष्टीकरणः जहाँ प्रीमियम डाक मनी - ऑर्डर के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है या डाक द्वारा चेक भेजा जाता है, जोखिम को उस तिथि को स्वीकार किया जा सकता है जब मनी - ऑर्डर बुक किया गया है या चेक भेजा गया है, जैसा भी मामला हो।
  • 3. प्रीमियम का कोई भी रिफंड जो पॉलिसी रद्द किए जाने या इसके नियमों एवं शर्तों में परिवर्तन किए जाने या अन्यथा के मामले में बीमाधारक को देय होता है, उसका भुगतान सीधे बीमा कंपनी द्वारा एक क्रॉस्ड या ऑर्डर चेक से या डाक मनी - ऑर्डर से किया जाएगा और बीमा कंपनी बीमाधारक से एक उचित रसीद प्राप्त करेगी, और इस तरह का रिफंड किसी भी स्थिति में एजेंट के खाते में जमा नहीं किया जाएगा।
  • 4. जहाँ एक बीमा एजेंट किसी बीमा कंपनी की ओर से बीमा की पॉलिसी पर प्रीमियम एकत्र करता है, वह इस प्रकार एकत्र किया गया संपूर्ण प्रीमियम, अपने कमीशन की कटौती किये बिना, बैंक और डाक छुट्टियों को छोड़कर संग्रहण के चौबीस घंटे के भीतर बीमा कंपनी के पास जमा करेगा या उसे डाक के द्वारा भेज देगा

IC14 बीमा व्यवसाय का विनियमन

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